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Itihāsa.Read Ayodhya Mahatmya. The 364-year-old Vadodara manuscript played a vital role in ending the impasse

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The 364-year-old Vadodara manuscript played a vital role in ending the impasse

https://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/364-yr-old-manuscript-played-vital-role-in-ending-impasse/articleshow/71989105.cms


https://timesofindia.indiatimes.com/city/mumbai/for-ayodhya-verdict-sc-relied-on-translation-of-book-originally-published-from-khetwadi/articleshow/71990288.cms

अयोध्या का फैसला / सुप्रीम कोर्ट के फैसले में वाल्मीकि रामायण, स्कंद पुराण के श्लोक और रामचरितमानस की चौपाइयां भी

Ayodhya Verdict supreme court mentioned Valmiki ramayan, skand purana and ramcharitmanas in decision

  • फैसले के साथ जोड़े गए परिशिष्ट के 40वें बिंदु में वाल्मीकि रामायण, 41वें में स्कंद पुराण और 73वें में रामचरितमानस का उल्लेख
  • वाल्मीकि रामायण के बालकांड के दोहे से राम अवतार, स्कंद पुराण के अयोध्या महात्म्य अध्याय से अयोध्या में रामजन्म भूमि होने के पौराणिक उल्लेख और मानस की चौपाइयों से राम अवतार की व्याख्या
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  • प्रोद्यमाने जगन्नाथम् सर्वलोकनमस्कृतम्। 
    कोसल्याजनयद रामं दिव्यलक्षणंसंयुतम्।। (बालकांड, अध्याय 18, श्लोक 10)

    अर्थात - जिन परमेश्वर, जगत के स्वामी, जिन्हें सभी पूजते हैं, नमस्कार करते हैं, उन परमात्मा विष्णु को कौसल्या ने राम के रुप में जन्म दिया, जो सभी दिव्य लक्षणों से युक्त थे।  
  • जन्मस्थान के आसपास क्या है ये लिखा है स्कंद पुराण में

श्लोकों का अर्थ - उस स्थान के ईशान (उत्तर-पूर्व कोण) में राम का जन्म हुआ। इसे ही रामजन्म स्थान कहा गया है, जिस का दर्शन मोक्षादि पाने का साधन है। विघ्नेश्वर से पूर्व, वासिष्ठ से उत्तर में और लोमशात के पश्चिम भाग में मौजूद इस स्थान को राम की जन्म भूमि कहा गया है। 
रामजन्म भूमि के आसपास क्या है, राम का जन्म किस जगह हुआ है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के अयोध्या महात्म्य के वैष्णवकांड में लिखा गया है। इसके 18वें और 19वें श्लोक में उन स्थानों का जिक्र है, जिनके आसपास जन्मभूमि है। ये स्थान विघ्नेश्वर पोंडरिक, वशिष्ठ कुंड और लोमश आश्रम हैं। श्लोक में इन तीनों स्थानों से जन्म भूमि की स्थिति बताई गई है। जिसे क्रॉस एग्जामिन भी किया गया। फैसले में उन श्लोकों का उल्लेख है। 
विष्णु का देवताओं को आश्वासन, 3 चौपाइयों का फैसले में उल्लेख
चौपाइयों का अर्थ - हे मुनि, सिद्ध और देवताओं के स्वामियों, डरो मत। तुम्हारे लिए मैं मनुष्य का रूप धारण करूंगा और उदार (पवित्र) सूर्यवंश में अंशों सहित मनुष्य का अवतार लूंगा। कश्यप और अदिति ने भारी तप किया था। मैं पहले ही उनको वर दे चुका हूं। वे ही दशरथ और कौसल्या के रूप में मनुष्यों के राजा होकर श्रीअयोध्यापुरी में प्रकट हुए हैं। उन्हीं के घर जाकर मैं रघुकुल के चार श्रेष्ठ भाइयों के रूप में अतार लूंगा। नारद के सब वचन मैं सत्य करूंगा और अपनी पराशक्ति के सहित अवतार लूंगा। 
73वें बिंदु में रामचरित मानस के बालकांड के उस भाग का उल्लेख किया गया है, रावण से त्रस्त देवता भगवान ब्रह्मा के पास सहायता के लिए जाते हैं और भगवान उन्हें आश्वासन देते हैं। ब्रह्मा की स्तुति से प्रसन्न भगवान विष्णु आकाशवाणी के जरिए देवताओं और पृथ्वी को धीरज बंधाते हुए आश्वासन देते हैं कि मैं राम के रूप में अवतार लूंगा। बालकांड के 186वें दोहे के बाद की 3 चौपाइयों का उल्लेख कोर्ट ने अपने फैसले में किया है।  

Dainik Bhaskar

Nov 09, 2019, 07:23 PM IST


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