Tuesday, December 30, 2014
Gharwapsi integrates society and Dharma
Press Release at VHP joint session of Trust and Management Committee held at Hyderabad
‘‘स्वामी विवेकानंद ने हिन्दुओं के धर्मान्तरण करने पर स्पष्ट रूप से कहा है कि हिन्दू समाज में से एक मुस्लिम या ईसाई बने इसका मतलब यह नहीं है कि एक हिन्दू कम हुआ बल्कि हिन्दू समाज का एक और शत्रु बढ़ा।’’ स्वामी विवेकानन्द की इस उक्ति पर ध्यान देने के कारण विश्व हिन्दू परिषद का प्रन्यासी मण्डल भारत में हो रहे धर्मान्तरण से अत्यन्त चिंतित है। विद्वानों का भी मत है कि धर्मान्तरण के कारण व्यक्ति पूर्वजों परम्परा, संस्कृृति से कट जाता है। भारत में धर्मान्तरित हुए और मुस्लिम बने ऐसे ही मुस्लिमों ने दंगा फसाद कर भारत को तोडकर पाकिस्तान बनाया है। जो मुस्लिम भारत में रहते हैं वे भी वन्दे मातरम बोलने को तैयार नहीं हैं। इस्लामी शिक्षा उन्हें भारत के महापुरुष, अवतारों से हटाकर इस्लाम मजहब निर्माता से जोड रही है। धर्मान्तरित मुस्लिम श्रीराम, कृृष्ण, बुद्ध, महावीर स्वामी का नाम लेना तो दूर उनसे घृणा करते हैं। धर्मान्तरण के कारण वे भारत के संतों, ग्रंथों से कटे हैं। एक प्रकार से धर्मान्तरण से उनकी राष्ट्रीयता व देशभक्ति पर प्रश्नवाचक चिन्ह निर्माण हुआ है।
‘‘स्वामी विवेकानंद ने हिन्दुओं के धर्मान्तरण करने पर स्पष्ट रूप से कहा है कि हिन्दू समाज में से एक मुस्लिम या ईसाई बने इसका मतलब यह नहीं है कि एक हिन्दू कम हुआ बल्कि हिन्दू समाज का एक और शत्रु बढ़ा।’’ स्वामी विवेकानन्द की इस उक्ति पर ध्यान देने के कारण विश्व हिन्दू परिषद का प्रन्यासी मण्डल भारत में हो रहे धर्मान्तरण से अत्यन्त चिंतित है। विद्वानों का भी मत है कि धर्मान्तरण के कारण व्यक्ति पूर्वजों परम्परा, संस्कृृति से कट जाता है। भारत में धर्मान्तरित हुए और मुस्लिम बने ऐसे ही मुस्लिमों ने दंगा फसाद कर भारत को तोडकर पाकिस्तान बनाया है। जो मुस्लिम भारत में रहते हैं वे भी वन्दे मातरम बोलने को तैयार नहीं हैं। इस्लामी शिक्षा उन्हें भारत के महापुरुष, अवतारों से हटाकर इस्लाम मजहब निर्माता से जोड रही है। धर्मान्तरित मुस्लिम श्रीराम, कृृष्ण, बुद्ध, महावीर स्वामी का नाम लेना तो दूर उनसे घृणा करते हैं। धर्मान्तरण के कारण वे भारत के संतों, ग्रंथों से कटे हैं। एक प्रकार से धर्मान्तरण से उनकी राष्ट्रीयता व देशभक्ति पर प्रश्नवाचक चिन्ह निर्माण हुआ है।
महात्मा गांधी ने भी ईसाईकरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ‘‘भारत में ईसाई मिशनरी के प्रयास का उद््देश्य है कि हिन्दुत्व को जडमूल से उखाडकर उसके स्थान पर दूसरा मत थोपना।’’
अंग्रेजों ने योजनापूर्वक अपने शासनकाल में भारत का ईसाईकरण करना आरंभ किया था। इस ईसाईकरण के कारण भारत का उत्तर पूर्वांचल उग्रवाद की चपेट में है। गोवा में पुर्तगाली शासनकाल में आए सेण्ट जेवियर ने इंक्वीजीशन कानून बनवाकर हिन्दुओं को मरवाया। सैकडों मंदिरों को ध्वस्त कराया और हिन्दू माताओं और पुरुषांे पर अनगिनत अत्याचार करके बडी मात्रा में उन्हें ईसाई बनाया और आज भी भारत में ईसाई चर्च लोभ-लालच, छल-बल द्वारा धर्मान्तरण कर रहा है। ईसाई चर्च भी ईसाई बने लोगों को भारत की मूल हिन्दू संस्कृृति व मूल्यों से काटकर विदेशी मूल्यों का दास बना रहा है। इसी कारण नियोगी कमीशन की रिपोर्ट में डाॅ0 बी0एन0 नियोगी ने कहा कि ‘‘भारत में ईसाईयों द्वारा धर्मान्तरण, ईसाई वंश के प्रभुत्व को पुनः स्थापित करने की एकसमान वैश्विक नीति का अंग है।’’ उडीसा में बधवा आयोग का मत है कि धर्मान्तरण से सामाजिक तनाव बढा है। इसी प्रकार पूर्व न्यायाधीश श्री वेणु गोपाल तमिलनाडु ने भी धर्मान्तरण पर अपना भाव व्यक्त करते हुए कहा कि धर्मान्तरण समाज में विद्वेष निर्माण करता है। इन्हीं विचारों को पुष्ट करने वाला निर्णय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन हिन्दू लडकियों के बारे में देते हुए लडकियों से पूछा कि तुमने मुस्लिम लडकों से विवाह किया है तो क्या तुम्हें इस्लाम की जानकारी है ? इस पर लडकियों ने जानकारी से मना किया तो न्यायाधीश ने इस विवाह को निरस्त कर दिया।
प्रन्यासी मण्डल का यह सुविचारित मत है कि धर्मान्तरण से राष्ट्रान्तरण होता है। घर-वापसी से व्यक्ति समाज के विकास और उत्थान से जुड जाता है। घर वापसी यह भारत में प्राचीन काल से चल रही हैं। महर्षि देवल, विद्यारण्य स्वामी, रामानंदाचार्य, छत्रपति शिवाजी से लेकर चैतन्य महाप्रभु, दादूदयाल, ऋषि दयानंद, स्वामी श्रद्धानंद आदि महापुरुषों ने घरवापसी द्वारा समाज को देश-धर्म से जोडने का कार्य किया है। किसी भी राष्ट्र का उत्थान उसके राष्ट्र भक्तों के परिश्रम व पुरुषार्थ पर ही संभव है। इसलिए समय की मांग है कि हिन्दू समाज अपने उन जातिबंधुओं का आह््वान करे कि यदि आप इस्लाम एवं ईसाइयत को छोडकर हिन्दू समाज में सम्मिलित होने को तैयार हैं तो हम आपको अपनी मूल जाति में सम्मिलित करने को तैयार हैं। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम भारत में रहनेवाले संत-महंत-आचार्य के साथ सम्पूर्ण हिन्दू समाज को अपने स्नेहप्रेम के दोनों हाथ फैलाकर विधर्मी बने उन्हें स्वधर्मी बनाकर भारत से जोड़कर राष्ट्रीय धारा में सम्मिलित करेंगे। ज्ञान-विज्ञान सम्पन्न एक गौरवशाली भारत निर्माण करना ही आज का राष्ट्र धर्म है।
प्रन्यासी मण्डल का वैचारिक मत है कि धर्मान्तरण मानव को राष्ट्रीय धारा से तोडता है, इसके स्थान पर घरवापसी मानव को राष्ट्रीय धारा से जोडती है। इसलिए भारत सरकार को धर्मान्तरण की रोक हेतु एक कडा कानून बनाना चाहिए जिससे देशभक्त समाज द्वारा भारत का शीघ्रगामी विकास संभव हो सके।
प्रस्तावक: धर्मनारायण शर्मा, दिल्ली.