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SoniaG fuming a fake act? NIA examining call records of 4 Congshal leaders with running commentaries on party convoy route

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छत्‍तीसगढ़ में लाल आतंक: कांग्रेसी नेताओं के काफिले में ही था कोई भेदिया!


New angle on may 26 attack. Inside job - 4 cong leaders allegedly involved. NIA examining call records.  See: http://bharatkalyan97.blogspot.in/2013/06/why-was-soniag-fuming-in-raipur-karma.html  Why was SoniaG fuming in Raipur? Karma.


नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं पर हुए नक्सली हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम का मानना है कि हमले में कुछ भीतरी व्यक्तियों का हाथ है। यह व्यक्ति कांग्रेस के काफिले में शामिल थे। नेताओं के मूवमेंट की पल-पल की जानकारी नक्सलियों तक पहुंचा रहे थे। 

एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक ये भेदिये हत्या के षड्यंत्र में शामिल थे। उन्होंने न केवल रूट परिवर्तन की जानकारी समय-समय पर दी, बल्कि यह भी बताया कि किस गाड़ी में कौन बैठा है। ऐसे चार लोगों की पहचान की गई है, जो हत्यारों से लगातार संपर्क में थे। इनमें से दो काफिले में शामिल थे और दो इनसे फोन पर संपर्क रखे हुए थे। नेताओं का रुकना, सड़क पर मुडऩा, गाड़ी की गति तक की जानकारी रनिंग कमेंटरी की तरह नक्सलियों को दी गई। जांच एजेंसी ने जगदलपुर के सेलफोन टॉवर्स से उस दिन के रूट की सारी कॉल डिटेल्स निकाल ली है। चार नेताओं के कॉल की भी पड़ताल हुई है। घटना को दोहराते समय भी अहम सुराग मिले हैं। 

छत्‍तीसगढ़ में लाल आतंक: कांग्रेसी नेताओं के काफिले में ही था कोई भेदिया!
महेंद्र कर्मा के बेटे ने भी लगाया साजिश का आरोप 
स्व. महेंद्र कर्मा के बेटे दीपक कर्मा नक्सली हमले को बड़ी राजनीतिक साजिश मान रहे हैं। वे यह भी कह रहे हैं कि पूरी घटना को साजिश के तहत ही अंजाम दिया गया है। नक्सलियों को पूरे काफिले की सटीक जानकारी देने वाला कोई न कोई भेदिया कांग्रेस नेताओं के बीच मौजूद था। और उन्हीं में से किसी ने उनके पिता को उसी रूट से वापस लौटने के लिए विवश किया। 
दीपक ने कहा कि स्व. कर्मा को दरभा वाले रूट से वापस नहीं लौटना था। वो जिस रास्ते से जाते, वहां से लौटकर कभी नहीं आते थे। उन्हें तयशुदा रूट से आने के लिए किसने विवश किया, इसकी जांच होनी चाहिए। दीपक ने कहा कि घटना के लिए दोषी तो राज्य सरकार है जिसने सुरक्षा में गंभीर चूक की। पर साथ में वे लोग भी दोषी हैं जिन्होंने पिताजी को उसी रूट पर वापस आने के लिए विवश किया। उन्होंने कहा कि पिताजी के आने-जाने का कार्यक्रम, उनकी गाड़ी और सुरक्षा कर्मियों की संख्या का किसी को पता नहीं रहता था। यह सब कैसे लीक हुआ, बड़ा सवाल है? दीपक ने कहा कि मेरे पिता का यह रिकार्ड रहा है कि वो घर से जिस रास्ते से निकलते थे, उसे छोड़कर दूसरे रास्ते से लौटते रहे। यह बात हमारे क्षेत्र का बच्चा-बच्चा जानता है। 
दीपक ने कहा कि जो कार्यक्रम 24 मई को होना था, वह 25 मई को किसने आयोजित करवाया? यह प्रश्न अहम है। संदेह पैदा करता है। बड़े नेताओं के बीच क्या बातें हुईं और किस तरह यह कार्यक्रम तय किया गया, इसको भी जांच के दायरे में रखा जाना चाहिए। साजिश की बात इसलिए भी सही लगती है क्योंकि काफिले के बारे में नक्सलियों के पास पूरी जानकारी थी। जांच के विषय में उन्होंने कहा मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा। एनआईए की जांच में सारे तथ्य सामने आ जाएंगे। मैं चित्रकोट में था, जब मुझे पिता पर हमले की जानकारी लगी। मैं तत्काल घटनास्थल के लिए निकल गया। मुझे पुलिस ने रास्ते में रोक दिया और जाने नहीं दिया। बाद में मुझे जानकारी दी गई कि नक्सलियों ने उन्हें मार दिया है। शाम साढ़े छह बजे के बाद एंबुलेंस में हमारे आदमी उनका शव लाने घटनास्थल निकले। उनके शरीर से सोने की चैन व बाकी चीजें नक्सली लूटकर जा चुके थे। 
छत्‍तीसगढ़ में लाल आतंक: कांग्रेसी नेताओं के काफिले में ही था कोई भेदिया!
परिवर्तन यात्रा का नाम बदलने पर विचार 
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले की वजह से रुकी कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा का नाम बदला जा सकता है। कांगे्रस के कई नेताओं के नक्सल हमले में शहीद होने के बाद पार्टी अब इस यात्रा को उन नेताओं की याद में समर्पित करने के मूड में है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हम सद्भावना यात्रा या पार्टी के नेताओं की शहादत के सम्मान में किसी और नाम से यात्रा का अगला चरण शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा यात्रा को कुछ संक्षिप्त भी किया जा सकता है। यानी कुछ जगहों को क्लब करके यात्रा आगे बढ़ाई जा सकती है। अगले चरण की यात्रा को अंतिम रूप देते वक्त संभावित मानसून को भी ध्यान में रखा जाएगा।’
छत्तीसगढ़ से रविवार को ही दिल्ली लौटे पार्टी के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा व प्रभारी महासचिव बीके हरिप्रसाद की पार्टी के अन्य नेताओं से जमीनी फीडबैक पर अभी और बात होनी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी फीडबैक के आधार पर ही अगले चरण के बारे में अहम फैसले करेंगे। अगले चरण की यात्रा से पहले ही नए अध्यक्ष के बारे में भी कुछ फैसला हो सकता है। पार्टी ने अपने विधायकों के रमन सिंह सरकार के खिलाफ सामूहिक इस्तीफे का विकल्प भी खुला रखा है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि आलाकमान विधायकों की उस भावना पर भी गौर करेगा जिसमें उन्होंने सामूहिक इस्तीफे देने की बात कही है। गौरतलब है कि रविवार को ही कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इस तरह की मंशा विधायकों ने जाहिर की थी। 
रमन सरकार पर बोलेगी हल्ला: पार्टी के मूड से साफ है कि वह छग में एक के बाद एक आक्रामक सियासी तीर रमन सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करेगी। पार्टी नेतृत्व ने स्थानीय नेताओं को साफ कर दिया है कि सूबे में कांग्रेस नेताओं की नृश्ंास हत्या के बाद पार्टी को पूरी आक्रामकता व जिम्मेदारी के साथ अपना राजनीतिक अभियान आगे चलाना है। नेताओं को अनावश्यक बयानबाजी से बचने को कहा गया है। कांग्रेस आलाकमान ने अपने नेताओं को सुरक्षा के मसले पर चौकस रहने को कहा है। राहुल गांधी के निर्देश पर पार्टी ने सभी जिलाध्यक्षों से यात्रा के स्वरूप व नए नेतृत्व पर उनकी गोपनीय राय ली है। पार्टी ने तय किया है कि वह कोई भी फैसला केंद्र की ओर से थोपने के बजाए स्थानीय नेताओं की राय को तवज्जो देगी। 

छत्‍तीसगढ़ में लाल आतंक: कांग्रेसी नेताओं के काफिले में ही था कोई भेदिया!
अब भी वेंटिलेटर पर हैं शुक्ल 
नक्सली हमले में घायल कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल की हालत में रविवार को आंशिक सुधार हुआ है। लेकिन वे अब भी वेंटिलेटर पर हैं। डॉक्टरों की टीम लगातार निगाह रखे हुए हैं। मेदांता अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर एके दुबे का कहना है कि अगर शुक्ल की सेहत में इसी तरह से सुधार होता रहा तो वे जल्द ही खतरे से बाहर निकल सकते हैं। हालांकि अभी ऐसा नहीं है। 
छत्‍तीसगढ़ में लाल आतंक: कांग्रेसी नेताओं के काफिले में ही था कोई भेदिया!
फेसबुक से नक्सल छत्तीसगढ़ का पेज बंद करने की तैयारी 
फेसबुक से नक्सल छत्तीसगढ़ का पेज बंद करने की तैयारी शुरू हो गई है। साइबर सेल की प्रभारी और एडिशनल एसपी क्राइम श्वेता सिन्हा ने फेसबुक से इस पेज को बंद करने के लिए अमेरिका स्थित फेसबुक मुख्यालय को ई-मेल भेज दिया है। फेसबुक के इस पेज को लेकर कई लोगों ने आपत्ति की थी। उनका कहना था कि इसमें दरभाकांड से संबंधित कुछ तस्वीरें बेहद आपत्तिजनक हैं। पुलिस मुख्यालय तक इसकी शिकायत कर दी गई। उसके बाद अफसरों ने तय किया कि इस पेज को ही बंद कर दिया जाए। विशेषज्ञों के अनुसार इस पेज का उपयोग नक्सल सामग्री के प्रचार प्रसार के लिए किया जाता रहा है। यह काफी अर्से से है। पिछले दिनों हुई घटना के बाद इसमें जब तस्वीरें डाली गईं तब सबका ध्यान इस ओर गया। 
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