INDORE: ‘India’s border is unsecured and porous’; RSS chief Bhagwat at Mega RSS Convention
January 7th, 2013, 12:14 pm
Indore January 07, 2013: China does not want India to progress and take a leading position in Asia, said RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat.
“You all know that India’s border is unsecured and porous. India does not harbour enmity against any country. However, the countries that are against us are trying to weave a web from all sides,” Bhagwat said.
“China does not want India to make progress and grow. It does not want India to take a leading position in Asia, while Pakistan is known for its ill-will and enmity (towards India) for no reason,” he told a huge congregation of RSS workers ‘PRANTH EKATREEKARAN VARG’ at Vivekanandpuram inIndore.
Without naming Pakistani Interior Minister Rehman Malik,Bhagwat said, “Recently one Pakistani minister visited India and left everybody annoyed.”
“There is always a demand to step up vigil along the border. However, there is no preparedness. They keep talking about it in Parliament, but nothing really materialises in this regard. Smuggling of drugs, arms and cattle has been rampant along the border,” he said.
Saying that India was facing a number of problems like price rise and unemployment, Bhagwat added, “Even if we conduct marathon sessions in Parliament to discuss the problems in India, the discussion would not be complete.”
Alleging that “politics of selfishness” is rampant in the country,Bhagwat said, “We elect the government. But when we want the government to solve our problems, it does not come forward unless it sees some benefit in it.”
“Many countries had vanished in a span of 50 years. However, India is surviving despite all odds and problems. No one has got powers to eliminate us…,” he said, adding that only Hindutvacould save the country from all its woes.
Hailing the contribution of RSS leaders, Bhagwat said politics alone would not solve the problems in the society.
Urging RSS workers, Bhagwat said they should come forward to bring about a positive change in the society and eradicate social evils.
“Society needs heroes, who possess character and strong emotional bond with people and win their confidence to change the society for betterment without selfish interest,” the RSS chief said.
“Our Independence came after a lot of struggle…leaders sit in the Parliament in different groups and oppose each others’ ideologies…But society needs brotherhood,” he said.
Stressing on the need for change, Bhagwat said that people themselves would have to rise to solve the problems being faced by the country rather than blaming the government.
“When the government doesn’t come forward to solve the problems being faced by the people, the latter tend to blame and abuse the system. This has been the trend from the time since India became a democratic country…but nothing has ever been achieved from such a practice. People need to rise themselves to bring about change,” he said.
Bhagwat further said people had the tendency to have misconceptions regarding RSS due to their inadequate understanding of the organisation. He also said that “only those individuals were against the organisation who feared the strength of RSS”.
(Inputs from DNA and PTI)
RSS Pranth Ekatreekaran Convention was held Yesterday at Indore. Here are few photos.
डा. भागवत के वक्तव्यों को ठीक तरह से पेश करें मीडिया : मनमोहन वैद्य
पढ़िए डा. भागवत के इन्दौर में दिए गए वक्तव्यों का प्रतिलेख
इन्दौर, जनवरी ६ : तथ्यों की छानबीन किये बिना सरसंघचालकजी के वक्तव्यों पर विवाद खड़ा करने का प्रयास छोड़कर मीडिया उनके वक्तव्यों को सही तरह से पेश करें, ऐसा आवाहन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डा. मनमोहन वैद्य ने किया है।
डा. वैद्य ने कहा, "पिछले कुछ दिनों से परम पूज्य सरसंघचालक जी के वक्तव्यों पर मीडिया द्वारा अवांछित विवाद चलाया जा रहा है। इसमें खेद की बात यह है कि कुछ चैनल तथा समाचार पत्र बिना तथ्यों की छानबीन किये अतिउत्साह तथा गैर जिम्मेदार ढंग से यह कर रहे हैं। पूजनीय सरसंघचालक जी का सिलचर का वक्तव्य और विशेषतः कल के इन्दौर के भाषण के परिपेक्ष्य में हुई चर्चा इसका उदहारण हैं। मीडिया के मित्रों से निवेदन है कि बिना तथ्यों की छानबीन किये उत्साह में इस प्रकार के अनुचित पत्रकारिता के व्यवहार से बचें।"
इस विवाद के चलते, सरसंघचालक डा. मोहनजी भागवत ने इन्दौर के कार्यक्रम में वास्तव में क्या कहा, यह जानने का प्रयास न्यूजभारती ने किया। इन्दौर में परमानन्द योग थिरपी अस्पताल के अनावरण समारोह में सरसंघचालक डा. भागवत जी ने जो भाषण किया उसके कुछ (विवाद से संबंधित) अंशो का प्रतिलेख हम यहां दे रहे हैं।
डा. भागवत ने कहा,
"पिछले ३०० साल में, मनुष्य अपने विचारों के अहंकार में विचार करता गया, करता गया, जो मैं कहता हूँ वही सत्य है ऐसा मानते गया। अहंकार इतना बढ़ गया उसका, कि उसने कहा कि अगर परमेश्वर भी है, तो उसको मेरे टेस्ट टयूब में उपस्थित होना पड़ेगा तभी मानूँगा।
पाश्चात्त्य समाजविचार तोड़ने वाला
तो ऐसी जब स्थिति आई तो विचार निकला की दुनिया क्या है, आत्मा परमात्मा बेकार की बात है, सब कुछ जड़ का खेल है। कोई एक हिग्ग्ज बोसों है, वो कणों को वस्तुमान प्रदान करता है, फिर ये कण आपस में टकराते हैं, कुछ मिल जाते हैं, कुछ बिखर जाते हैं, उसमें से उर्जा भी उत्पन्न होती है और उसमें से पदार्थ भी उत्पन्न हो जाते हैं। और इसका नियम कुछ नहीं, सम्बन्ध ही कुछ नहीं है न, एक कण का दूसरे कण से कोई सम्बन्ध नहीं, इस सृष्टि में किसी का किसी से सम्बन्ध नहीं है, लाखो वर्षों से चली आ रही दुनिया, तो कहते हैं वो संबंधों की बात नहीं, वो स्वार्थ की बात है, ये एक सौदा है, theory of contract, theory of social contract, पत्नी से पति का सौदा तय हुआ है। इसको आप लोग विवाह संस्कार कहते होंगे, लेकिन वह सौदा है, तुम मेरा घर संभालो मुझे सुख दो, मैं तुम्हारे पेट पानी की व्यवस्था करूँगा और तुमको सुरक्षित रखूँगा। और इसलिए उसपर चलता है, और जब तक पत्नी ठीक है तब तक पति contract के रूप में उसको रखता है, जब पत्नी contract पूर्ण नहीं कर सकती तो उसको छोड़ो। किसी कारण पति contract पूर्ण नहीं करता तो उसको छोड़ो। दूसरा contract करने वाला खोजो । ऐसे ही चलता है, सब बातों में सौदा है, अपने विनाश के भय के कारण दूसरों की रक्षा करना। पर्यावरण को शुद्ध रखो, नहीं तो क्या होगा? नहीं तो मनुष्य का विनाश हो जायेगा। मनुष्य का विनाश नहीं होता है तो पर्यावरण से कोई मतलब नहीं। इसलिये एक तरफ वृक्षारोपण के कार्यक्रम करना, दूसरी तरफ फैक्ट्री का मैला नदी में छोड़ना। दोनों काम एक साथ करना।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु क्यों? क्यों कि अगर ऐसा नहीं हुआ न, तो बहुत संहार होगा, डर के मरे... और डर जादा चलता नहीं। इतना बड़ा सर्व समर्थ रशिया था, ७०- ७२ साल तक उसका डर चला, उसके बाद लोगों ने डरना छोड़ दिया। मरी हुई मुर्गी आग को क्यूँ डरेगी? इसलिए वो जो भयपूर्वक एक वैभव का दृश्य उत्पन्न किया था वो टिकता नहीं।
अध्यात्माधारित भारतीय समाजविचार जोड़ने वाला
और भारत के विचार क्या कहते हैं इस मामले में? वो कहते हैं ऐसा नहीं है भाई, दुनिया संबंधों पर आधारित है, दिखता अलग है लेकिन सब एक हैं। यों कहो कि एक ही अनेक रूप में प्रगट हुआ है। इसलिए सब एक दूसरे से जुदा है। विश्व में कही पर घटित होने वाली अर्थहीन घटना भी, सारे विश्व के व्यापार पर कुछ न कुछ परिणाम करती है। अच्छी बातें हो गयी अच्छे परिणाम होंगे। नहीं हुई नहीं होंगे। किसी का विनाश हो रहा है तो वो तुम्हारा ही विनाश है। तुम उस से जुड़े हो तुम उसी के अंग हो। मनुष्य हो कोई सृष्टि के बाहर नहीं हो।
अपने चित्त में अभ्यास पूर्वक धीरे धीरे इस को देखना, समझना, उस से जुड़ना, जुड़कर उस के साथ ही रहने का अभ्यास करना। ऐसा व्यक्ति जो जुड़ने का प्रयास करता है और थोड़ा बहुत जुड़ता है, उस के ध्यान में आता है, कि सब मेरा ही है, सब मैं ही हूँ, तो फिर कौनसा कर्म कैसे करना इस में वो कुशल बन जाता है। जैसे गीता में कहा है, योग: कर्मसु कौशलम। वो अपना भी जीवन सुख का करता है, लोगों का भी सुखकारक करता है। अपने विकास से सारी दुनिया का विकास करता है, सारी दुनिया के विकास से अपना विकास करता है। दुनिया में कोई संघर्ष नहीं रहता। दुनिया में कोई तृष्णा नहीं रहती। दुनिया से दुःख का परिहार हो जाता है। अपने यहाँ पर भारत में से जितनी भी विचार धाराएँ निकली हैं, सबने यही बताया है, शब्द अलग-अलग हैं ।"