Sants have resolved to undertake, from 25 August to 13 September 2013, a circumambulation yatra for 84 Kosi (approx. 168 kms.) along many villages. Villagers will join the yatra and resolve to protect, at any cost, the cultural foundations of the sacred janmabhumi. Sants have also resolved to demand that, in the monsoon session, Government should enact a law to construct Sri Rama Janmabhumi temple, else it is the bounden duty of the Sants to lead a peoples' agitation. Government will be responsible for the consequences of this agitation. (Press release from VHP Karya Karini Mandal).
VHP K.M.M Baithak Hridwar Press Note,Prastav on Rama Janma Bhumi 12 June 2013 सरकार मानसून सत्र में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे -विहिप
विहिप-केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल बैठक
ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया व चतुर्थी 11, 12 जून, 2013
कच्छी आश्रम, भारत माता मंदिर के पास, सप्त सरोवर मार्ग, हरिद्वार (उत्तराखंड)
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संतों की चेतावनी
सरकार मानसून सत्र में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे
25 अगस्त से 13 सितम्बर, 2013 तक 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर संतांे की परिक्रमा यात्रा
विश्व हिन्दू परिषद केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की दूसरे दिन की बैठक का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन करते हुए श्रंृग्रेरी से पधारे पूज्य सत्यानंद जी भारती, अयोध्या से पधारे डॉ0 रामविलासदास वेदान्ती एवं संगठन महामंत्री दिनेशचन्द्र जी ने किया। बैठक की अध्यक्षता मेरठ के पूज्य स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने की। कल की दो सत्रों की बैठक में पूज्य संतों द्वारा प्रस्तुत किए गए विचारों के आधार पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के निर्णायक संघर्ष की ओर कदम बढाने के प्रथम चरण की घोषणा करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री श्री चम्पतराय ने कहा कि अयोध्या की 84 कोस क्षेत्र में हम किसी भी प्रकार का कोई इस्लामिक केन्द्र अथवा मस्जिद नहीं बनने देंगे क्योंकि यही अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा है। हम इस क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को जन जागरण द्वारा इस क्षेत्र की गरिमा के प्रति चैतन्य करेंगे। यह कार्यक्रम साधु संतों के द्वारा परिक्रमा मार्ग पर परिक्रमा पदयात्रा के द्वारा किया जायेगा। यह यात्रा 25 अगस्त से आरंभ होकर 13 सितम्बर, 2013 तक पूर्ण होगी। परिक्रमा यात्रा के दौरान 84 कोसी क्षेत्र के सभी ग्रामों को इस यात्रा के साथ जोड़ा जायेगा। यात्रा के पडाव पर सत्संग का आयोजन होगा जहां क्षेत्रीय लोग संकल्प करेंगे कि वह अपने इस पावन भूमि के सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा हर कीमत पर करेंगे।
से आए हुए प्रत्येक प्रांत के संत महानुभावों ने इस यात्रा में अपने प्रांत की सहभागिता के संबंध में जानकारी दी। बैठक को संबोधित करते हुए भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद जी ने कहा कि जैसे सुग्रीव ने माता सीता को खोजने हेतु वानर सेना को चारों ओर जाने का निर्देश दिया था उसी प्रकार देश के संतों को स्वयं अपने को व अपने अनुयायियों को चारों ओर जन-जागरण करने के लिए जाना होगा जिससे कि पूरे देश में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए शक्ति तैयार हो। भगवान राम का मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्र ही पूरा होगा।
पूज्य संतों ने सरकार को चेतावनी देते हुए एकमत से यह कहा कि सरकार आगामी वर्षाकालीन सत्र में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए अन्यथा संत मंदिर निर्माण के लिए प्रचण्ड जनांदोलन चलाने के लिए बाध्य होंगे जिसके परिणामों की जिम्मेवारी सरकार की ही होगी।
बैठक के अध्यक्ष स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए हमें देश में ऐसी सरकार बनानी होगी जो मंदिर निर्माण के लिए अनुकूल हो और वह सरकार भी वैसाखी वाली सरकार नहीं होनी चाहिए। पूज्य संतों ने जन-जागरण का जो संकल्प लिया है हम सब मिलकर देश में व्यापक जन-जागरण करेंगे जिससे अभीष्ट पूर्ण होगा।
बैठक के अंत में विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक जी सिंहल ने देश के कोने-कोने से पधारे पूज्य संतों के चरणों में कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि आज की यह बैठक ऐतिहासिक है। राम जन्मभूमि के संघर्ष के अंतिम दौर में हैं। रामलला के मंदिर निर्माण के लिए 76 बार संघर्ष हुए जो कार्य साढे चार सौ वर्षों से नहीं हुआ था वह 1992 में संतों के आहवान पर नौजवानों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए 5 घण्टे में कर दिखाया। आप सबने आज जो संकल्प लिया है निश्चित रूप से आनेवाले समय में वह पूर्ण होगा। आप सब अत्यन्त कष्ट उठाकर बैठक में उपस्थित हुए हैं, संतों के चरण विश्व हिन्दू परिषद के लिए सदैव पूज्य हैं। मैं सभी पूज्य संतों के श्रीचरणों में अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं। मुझे विश्वास है कि आप सबका आशीष हम पर इसी प्रकार बना रहेगा।
बैठक को स्वामी प्रेमशंकरदास जी महाराज, अवधूत निरंजनदास जी महाराज, उडीसा से परमानंद जी महाराज, गुजरात के शांतिगिरि जी महाराज, झारखण्ड के लक्ष्मीपुरी जी महाराज, बिहार के विमलशरण जी महाराज, कैलाशपीठाधीश्वर स्वामी दिव्यानंद जी महाराज, ज0गु0 रामानंदाचार्य स्वामी रामाधार जी महाराज, म0म0 प्रज्ञानंद जी महाराज, महानिर्वाणी अखाडे के रवीन्द्रपुरी जी महाराज, उदासनी अखाडे के मोहनदास जी महाराज, इंदौर के राधे राधे बाबा, म0म0 हरिचैतन्यानंद जी महाराज, पूज्य दर्शनसिंह जी महाराज ने सम्बोधित किया और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए अपने अपने संकल्प को प्रकट किया।
बैठक का संचालन केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के संयोजक एवं विहिप केन्द्रीय मंत्री श्री जीवेश्वर मिश्र ने किया।
बैठक में देश के कोने-कोने से आए हुए प्रमुख संतों के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री श्री चम्पतराय, संगठन महामंत्री श्री दिनेशचन्द्र, संयुक्त महामंत्री विनायकराव देशपाण्डे, वाई0 राघवुलू, केन्द्रीय उपाध्यक्ष बालकृष्ण नाईक, ओमप्रकाश सिंहल, केन्द्रीय मंत्री सर्वश्री जीवेश्वर मिश्र, धर्मनारायण शर्मा, कोटेश्वर शर्मा, जुगलकिशोर, ओमप्रकाश गर्ग, उमाशंकर शर्मा, राजेन्द्र सिंह पंकज, रविदेव आनंद, केन्द्रीय सहमंत्री सर्वश्री अशोक तिवारी, आनंद हरबोला, सपन मुखर्जी, साध्वी कमलेश भारती सहित देशभर से आए धर्माचार्य सम्पर्क प्रमुख भी उपस्थित रहे।
जारीकर्ता
प्रकाश शर्मा (एडवोकेट)राष्ट्रीय प्रवक्ता-विश्व हिन्दू परिषद
प्रस्ताव क्र. - 1
विषय - अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण
प्रयाग महाकुंभ 2013 के शुभ अवसर पर आयोजित विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक मण्डल के पूजनीय संत-महात्माओं की बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया था कि पुण्य नगरी अयोध्या में विराजित भगवान श्रीरामलला का कपडों द्वारा निर्मित मंदिर संतों के साथ-साथ संपूर्ण हिन्दू समाज को शर्मसार कर रहा है। जनसमाज यथाशीघ्र भगवान के दर्शन भव्य मंदिर में करना चाहता है। प्रयाग महाकुंभ में संतों के विशाल सम्मेलन के अवसर पर जनसमाज के सामने मार्गदर्शक मण्डल के संतों ने विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के तीनों न्यायाधीशों ने एकमत से निर्णय दिया है कि--
1. विवादित स्थल ही भगवान श्रीराम का जन्मस्थान है। जन्मभूमि स्वयं में देवता है और विधिक प्राणी है।
2. विवादित ढांचा किसी हिन्दू धार्मिक स्थल पर बनाया गया था।
3. विवादित ढांचा इस्लाम के नियमों के विरूद्ध बना था, इसलिए वह मस्जिद का रूप नहीं ले सकता।
विद्वान न्यायाधीशों ने मुस्लिमों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। इस प्रकार यह सिद्ध कर दिया था कि एकमात्र रामलला ही 70 एकड़ भूमिखण्ड के मालिक हैं।
मार्गदर्शक मण्डल के निर्णय के अनुसार संत-महात्माओं का एक शिष्ट मण्डल महामहिम राष्ट्रपति से भेंट करने गया था। संतों ने राष्ट्रपति जी को एक ज्ञापन देते हुए कहा था कि भारत सरकार के अटार्नी जनरल ने 14 सितम्बर, 1994 को सर्वोच्च न्यायालय में एक शपथ पत्र देकर कहा था कि--‘यदि यह सिद्ध होता है कि विवादित स्थल पर पहले कभी कोई मन्दिर/हिन्दू उपासना स्थल था तो सरकार की कार्रवाई हिन्दू भावना के अनुसार होगी।’ अतः उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद भारत सरकार की यह बाध्यता है कि वह अपने वचन का पालन करे और भारत सरकार 70 एकड़ भूमि मंदिर निर्माण हेतु हिन्दू समाज को शीघ्र कानून बनाकर सौंप दे।
मार्गदर्शक मण्डल स्पष्ट रूप से घोषित करता है कि अयोध्या की 84 कोस परिक्रमा की भूमि हिन्दू समाज के लिए पुण्य क्षेत्र है। हिन्दू समाज पुण्य क्षेत्र की ही परिक्रमा करता है, इसलिए इस पुण्य क्षेत्र में हिन्दू समाज किसी भी प्रक ार के इस्लामिक प्रतीक को स्वीकार नहीं करेगा। यदि वहां कोई इस्लामिक प्रतीक बनाया गया तो वह बाबर के रूप में जाना जायेगा जिसके कारण हिन्दू-मुस्लिम विवाद हमेशा के लिए बना रहेगा।
मार्गदर्शक मण्डल का यह सुविचारित मत है कि न्यायालयों की लम्बी प्रक्रिया से शीघ्र निर्णय नहीं आ सकेगा। इधर हिन्दू समाज रामलला को शीघ्रातिशीघ्र भव्य मंदिर में विराजित देखना चाहता है, इसलिए भारत सरकार से मार्गदर्शक मण्डल का आग्रह है कि संसद के मानसून सत्र में ही कानून बनाकर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के भव्य मंदिर निर्माण की सभी कानूनी बाधाएं दूर करें। यदि मार्गदर्शक मण्डल की यह मांग नहीं मानी गई तो हिन्दू समाज उग्र आन्दोलन करने को बाध्य होगा।
दिनांक 12 जून, 2013
VHP K.M.M Baithak Hridwar Press Note,Prastav on Rama Janma Bhumi 12 June 2013 सरकार मानसून सत्र में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे -विहिप
VHP K.M.M Baithak Hridwar Press Note,Prastav on Rama Janma Bhumi 12 June 2013
विहिप-केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल बैठक
ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया व चतुर्थी 11, 12 जून, 2013
कच्छी आश्रम, भारत माता मंदिर के पास, सप्त सरोवर मार्ग, हरिद्वार (उत्तराखंड)
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संतों की चेतावनी
सरकार मानसून सत्र में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे
25 अगस्त से 13 सितम्बर, 2013 तक 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर संतांे की परिक्रमा यात्रा
विश्व हिन्दू परिषद केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की दूसरे दिन की बैठक का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन करते हुए श्रंृग्रेरी से पधारे पूज्य सत्यानंद जी भारती, अयोध्या से पधारे डॉ0 रामविलासदास वेदान्ती एवं संगठन महामंत्री दिनेशचन्द्र जी ने किया। बैठक की अध्यक्षता मेरठ के पूज्य स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने की। कल की दो सत्रों की बैठक में पूज्य संतों द्वारा प्रस्तुत किए गए विचारों के आधार पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के निर्णायक संघर्ष की ओर कदम बढाने के प्रथम चरण की घोषणा करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री श्री चम्पतराय ने कहा कि अयोध्या की 84 कोस क्षेत्र में हम किसी भी प्रकार का कोई इस्लामिक केन्द्र अथवा मस्जिद नहीं बनने देंगे क्योंकि यही अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा है। हम इस क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को जन जागरण द्वारा इस क्षेत्र की गरिमा के प्रति चैतन्य करेंगे। यह कार्यक्रम साधु संतों के द्वारा परिक्रमा मार्ग पर परिक्रमा पदयात्रा के द्वारा किया जायेगा। यह यात्रा 25 अगस्त से आरंभ होकर 13 सितम्बर, 2013 तक पूर्ण होगी। परिक्रमा यात्रा के दौरान 84 कोसी क्षेत्र के सभी ग्रामों को इस यात्रा के साथ जोड़ा जायेगा। यात्रा के पडाव पर सत्संग का आयोजन होगा जहां क्षेत्रीय लोग संकल्प करेंगे कि वह अपने इस पावन भूमि के सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा हर कीमत पर करेंगे।
से आए हुए प्रत्येक प्रांत के संत महानुभावों ने इस यात्रा में अपने प्रांत की सहभागिता के संबंध में जानकारी दी। बैठक को संबोधित करते हुए भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद जी ने कहा कि जैसे सुग्रीव ने माता सीता को खोजने हेतु वानर सेना को चारों ओर जाने का निर्देश दिया था उसी प्रकार देश के संतों को स्वयं अपने को व अपने अनुयायियों को चारों ओर जन-जागरण करने के लिए जाना होगा जिससे कि पूरे देश में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए शक्ति तैयार हो। भगवान राम का मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्र ही पूरा होगा।
पूज्य संतों ने सरकार को चेतावनी देते हुए एकमत से यह कहा कि सरकार आगामी वर्षाकालीन सत्र में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए अन्यथा संत मंदिर निर्माण के लिए प्रचण्ड जनांदोलन चलाने के लिए बाध्य होंगे जिसके परिणामों की जिम्मेवारी सरकार की ही होगी।
बैठक के अध्यक्ष स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए हमें देश में ऐसी सरकार बनानी होगी जो मंदिर निर्माण के लिए अनुकूल हो और वह सरकार भी वैसाखी वाली सरकार नहीं होनी चाहिए। पूज्य संतों ने जन-जागरण का जो संकल्प लिया है हम सब मिलकर देश में व्यापक जन-जागरण करेंगे जिससे अभीष्ट पूर्ण होगा।
बैठक के अंत में विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक जी सिंहल ने देश के कोने-कोने से पधारे पूज्य संतों के चरणों में कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि आज की यह बैठक ऐतिहासिक है। राम जन्मभूमि के संघर्ष के अंतिम दौर में हैं। रामलला के मंदिर निर्माण के लिए 76 बार संघर्ष हुए जो कार्य साढे चार सौ वर्षों से नहीं हुआ था वह 1992 में संतों के आहवान पर नौजवानों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए 5 घण्टे में कर दिखाया। आप सबने आज जो संकल्प लिया है निश्चित रूप से आनेवाले समय में वह पूर्ण होगा। आप सब अत्यन्त कष्ट उठाकर बैठक में उपस्थित हुए हैं, संतों के चरण विश्व हिन्दू परिषद के लिए सदैव पूज्य हैं। मैं सभी पूज्य संतों के श्रीचरणों में अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं। मुझे विश्वास है कि आप सबका आशीष हम पर इसी प्रकार बना रहेगा।
बैठक को स्वामी प्रेमशंकरदास जी महाराज, अवधूत निरंजनदास जी महाराज, उडीसा से परमानंद जी महाराज, गुजरात के शांतिगिरि जी महाराज, झारखण्ड के लक्ष्मीपुरी जी महाराज, बिहार के विमलशरण जी महाराज, कैलाशपीठाधीश्वर स्वामी दिव्यानंद जी महाराज, ज0गु0 रामानंदाचार्य स्वामी रामाधार जी महाराज, म0म0 प्रज्ञानंद जी महाराज, महानिर्वाणी अखाडे के रवीन्द्रपुरी जी महाराज, उदासनी अखाडे के मोहनदास जी महाराज, इंदौर के राधे राधे बाबा, म0म0 हरिचैतन्यानंद जी महाराज, पूज्य दर्शनसिंह जी महाराज ने सम्बोधित किया और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए अपने अपने संकल्प को प्रकट किया।
बैठक का संचालन केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के संयोजक एवं विहिप केन्द्रीय मंत्री श्री जीवेश्वर मिश्र ने किया।
बैठक में देश के कोने-कोने से आए हुए प्रमुख संतों के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री श्री चम्पतराय, संगठन महामंत्री श्री दिनेशचन्द्र, संयुक्त महामंत्री विनायकराव देशपाण्डे, वाई0 राघवुलू, केन्द्रीय उपाध्यक्ष बालकृष्ण नाईक, ओमप्रकाश सिंहल, केन्द्रीय मंत्री सर्वश्री जीवेश्वर मिश्र, धर्मनारायण शर्मा, कोटेश्वर शर्मा, जुगलकिशोर, ओमप्रकाश गर्ग, उमाशंकर शर्मा, राजेन्द्र सिंह पंकज, रविदेव आनंद, केन्द्रीय सहमंत्री सर्वश्री अशोक तिवारी, आनंद हरबोला, सपन मुखर्जी, साध्वी कमलेश भारती सहित देशभर से आए धर्माचार्य सम्पर्क प्रमुख भी उपस्थित रहे।
जारीकर्ता
प्रकाश शर्मा (एडवोकेट)राष्ट्रीय प्रवक्ता-विश्व हिन्दू परिषद
प्रस्ताव क्र. - 1
विषय - अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण
प्रयाग महाकुंभ 2013 के शुभ अवसर पर आयोजित विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक मण्डल के पूजनीय संत-महात्माओं की बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया था कि पुण्य नगरी अयोध्या में विराजित भगवान श्रीरामलला का कपडों द्वारा निर्मित मंदिर संतों के साथ-साथ संपूर्ण हिन्दू समाज को शर्मसार कर रहा है। जनसमाज यथाशीघ्र भगवान के दर्शन भव्य मंदिर में करना चाहता है। प्रयाग महाकुंभ में संतों के विशाल सम्मेलन के अवसर पर जनसमाज के सामने मार्गदर्शक मण्डल के संतों ने विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के तीनों न्यायाधीशों ने एकमत से निर्णय दिया है कि--
1. विवादित स्थल ही भगवान श्रीराम का जन्मस्थान है। जन्मभूमि स्वयं में देवता है और विधिक प्राणी है।
2. विवादित ढांचा किसी हिन्दू धार्मिक स्थल पर बनाया गया था।
3. विवादित ढांचा इस्लाम के नियमों के विरूद्ध बना था, इसलिए वह मस्जिद का रूप नहीं ले सकता।
विद्वान न्यायाधीशों ने मुस्लिमों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। इस प्रकार यह सिद्ध कर दिया था कि एकमात्र रामलला ही 70 एकड़ भूमिखण्ड के मालिक हैं।
मार्गदर्शक मण्डल के निर्णय के अनुसार संत-महात्माओं का एक शिष्ट मण्डल महामहिम राष्ट्रपति से भेंट करने गया था। संतों ने राष्ट्रपति जी को एक ज्ञापन देते हुए कहा था कि भारत सरकार के अटार्नी जनरल ने 14 सितम्बर, 1994 को सर्वोच्च न्यायालय में एक शपथ पत्र देकर कहा था कि--‘यदि यह सिद्ध होता है कि विवादित स्थल पर पहले कभी कोई मन्दिर/हिन्दू उपासना स्थल था तो सरकार की कार्रवाई हिन्दू भावना के अनुसार होगी।’ अतः उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद भारत सरकार की यह बाध्यता है कि वह अपने वचन का पालन करे और भारत सरकार 70 एकड़ भूमि मंदिर निर्माण हेतु हिन्दू समाज को शीघ्र कानून बनाकर सौंप दे।
मार्गदर्शक मण्डल स्पष्ट रूप से घोषित करता है कि अयोध्या की 84 कोस परिक्रमा की भूमि हिन्दू समाज के लिए पुण्य क्षेत्र है। हिन्दू समाज पुण्य क्षेत्र की ही परिक्रमा करता है, इसलिए इस पुण्य क्षेत्र में हिन्दू समाज किसी भी प्रक ार के इस्लामिक प्रतीक को स्वीकार नहीं करेगा। यदि वहां कोई इस्लामिक प्रतीक बनाया गया तो वह बाबर के रूप में जाना जायेगा जिसके कारण हिन्दू-मुस्लिम विवाद हमेशा के लिए बना रहेगा।
मार्गदर्शक मण्डल का यह सुविचारित मत है कि न्यायालयों की लम्बी प्रक्रिया से शीघ्र निर्णय नहीं आ सकेगा। इधर हिन्दू समाज रामलला को शीघ्रातिशीघ्र भव्य मंदिर में विराजित देखना चाहता है, इसलिए भारत सरकार से मार्गदर्शक मण्डल का आग्रह है कि संसद के मानसून सत्र में ही कानून बनाकर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के भव्य मंदिर निर्माण की सभी कानूनी बाधाएं दूर करें। यदि मार्गदर्शक मण्डल की यह मांग नहीं मानी गई तो हिन्दू समाज उग्र आन्दोलन करने को बाध्य होगा।
दिनांक 12 जून, 2013